Tuesday, August 11, 2009

'जीवन एक अनुभूति' ब्लॉग को मैंने अभी लिखना शुरू ही किया कि अपनों से मिलने वाली शुभ कामनाओं और उनके प्यार से में अभिभूत हो गयी हूँ। मैंने इस ब्लॉग को लिखने का निर्णय किया है परन्तु मेरे अन्दर जो कुछ है उसे मैं कैसे एक आकार दूँगी इसे मैं अभी समझ नहीं पायी हूँ।
मेरे हाथ में आज कलम नहीं है, एक कीबोर्ड है जिसे मैंने अभी कुछ दिनों पूर्व ही चलाना सीखा है। कंप्यूटर का उपयोग इसके पूर्व मैंने केवल गेम खेलने के लिए ही किया था और इन्टरनेट का प्रयोग बच्चों से बात करने के लिए। आज मुझे अभिव्यक्ति के एक सशक्त मध्यम के रूप में गूगल का यह उपहार मिला है। मैं अभिव्यक्ति के इस नवीन मध्यम को पा कर बहुत उत्साहित हूँ।
न जाने कितने सालों पूर्व मैंने लिखना छोड़ दिया था पर अब मैं फिर से कुछ लिखना चाहती हूँ। मैं अपनी बातें अपने पाठकों को बताना और उनकी बातें सुनना, जानना चाहती हूँ। एक समय था जब हर पल एक ही धुन लगी रहती थी कि कुछ नया लिखना है...कुछ नयी बातें अपने पाठकों से करनी है...कुछ नए प्रगतिशील विचार अपने पाठकों के सामने लानी हैं। दिनभर उठते-बैठते, सोते-जागते एक ही धुन लगी रहती थी...कुछ नया काम, कुछ नयी रचनाएँ , कुछ नया सृजन...बस कुछ नया...! हाथ में एक लेखनी थी, अभिव्यक्ति का एक माध्यम- समाचार पत्र था। और क्या चाहिए एक रचनाकार और सृजनशील मानस को?
पर हर व्यक्ति को उसका मनचाहा सब-कुछ नहीं मिल सकता। अभिव्यक्ति का जो माध्यम हाथ में था वह अविश्वसनीय रूपसे छीन लिया गया। लिखने की इच्छा ही समाप्त हो गयी थी। पर आज बरसों बाद, अपने देश से इतनी दूर...अमेरिका के एक छोटे से शहर में, मैं रचना की प्रक्रिया से पुनः जुड़ गयी हूँ। मैं चकित तो हूँ पर बहुत खुश भी हूँ।
अपने छोटे बेटे प्रवीण के एक प्रयास से मैं, अपनी नन्हीं-सी प्यारी पोती दिवा के लिए, फिर से जी उठी हूँ। दिवा के साथ मैं सबसे बातें कर सकूँ, सबके साथ अपने जीवन के कुछ पल बाँट सकुनौर आप सबके प्यार, विश्वास के साथ कुछ नया कर सकूँ - यही मैं ईश्वर से कामना करती हूँ।

Tuesday, July 28, 2009

जीवन:एक अनुभूति

ब्लॉग में मैं अपने और अपने अनुभवों के बारे में काफी कुछ लिखना और अपने अनुभव सबके साथ बाँटना चाहती हूँ। गूगल ने मुझे एक मौका दिया है, जिससे इस ब्लॉग द्वारा मैं अपने जीवन के कुछ अविस्मरणीय पल सबके साथ बाँट सकती हूँ। मैं इसके लिए मन से गूगल के प्रति आभारी हूँ।
जीवन मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अनमोल वरदान है या यूँ कहूँ कि मानव-जीवन प्रकृति की एक अनूठी रचना है। मनष्य का जीवन ईश्वर का वरदान है या प्रकृति का उपहार-पर यह है अद्वितीय !

हर व्यक्ति का जीवन दूसरे से भिन्न है; उसका व्यक्तित्व, उसका विचार, उसका अनुभव; सब कुछ दूसरे व्यक्ति से अलग है। जीवन का यह अनोखापन ही शायद हर व्यक्ति को जिज्ञासु प्रवृत्ति प्रदान करता है। उसमें 'और अधिक' जानने की ललक पैदा करता है। मानव-जीवन की यही विभिन्नता उसके जीवन में रस का संचार करती है और उसे जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से परिचित कराती है।

हर व्यक्ति की तरह मेरा भी अपना एक जीवन है जिसे मैंने सबके साथ मिल कर पूरी तरह जिया है। कुछ खट्टे-मीठे अनुभव भी हैं जिन्हें मैं सबके साथ मिल कर बाँटना और एक नया अनुभव करना चाहती हूँ। मेरे इस ब्लॉग में आप सबका स्वागत है।

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Monday, July 27, 2009

श्री गणेश जी

श्री गणेशाय नमः

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